- Daily Horoscope July 7, 2024, Explore the Astrological Forecast for 12 Rashis
- Planetary Positions, Moon Sign and How They Impact Your Mood and Anger
- Significance of Pratyantar Dasha in Vedic Astrology
- Daily Horoscope July 6, 2024, Explore the Astrological Forecast for 12 Rashis
- How can astrology predict government jobs?
Radha Ashtami 2023: तिथि, व्रत और पूजा
Related Topics:Festivals and EventsHindiRadha KrishnaShri KrishnaVrat and Puja
![Radha Ashtami 2023](https://www.namoastro.com/blog/wp-content/uploads/2023/09/radha-krishna.jpg)
श्री राधा अष्टमी, या राधाष्टमी, श्री कृष्ण की प्रेमिका राधा को समर्पित प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार श्री कृष्ण के भक्तों के बीच अधिक लोकप्रिय है, हालांकि देश भर में हिंदू इस दिन को उत्साह के साथ मनाते हैं। राधा अष्टमी, वृन्दावन की रानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस का प्रतीक है, जो भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष के आठवें दिन (चंद्रमा के बढ़ते चरण पर अष्टमी) को आती है।
ऐसा माना जाता है कि राधा रानी लोगों द्वारा आयोजित एक यज्ञ के बाद पृथ्वी पर प्रकट हुईं। भाद्रपद शुक्ल पक्ष अष्टमी को वृषभ नुपुरी में राजा वृषभ भानु और उनकी पत्नी कीर्तिदा ने राधा को पाया और उन्हें अपनी बेटी के रूप में अपनाया। राजा वृषभ भानु और उनकी पत्नी कीर्तिदा नि:संतान थे और संतान के लिए भगवान से प्रार्थना करते रहते थे।
कब है राधा अष्टमी 2023?
राधा अष्टमी 2023 की तारीख 23 सितंबर को है। यह वह दिन भी है जब राधा और कृष्ण के बीच दिव्य प्रेम को उत्साहपूर्वक मनाया जाता है।।
राधा अष्टमी 2023 शुभ तिथि
- 23 सितंबर 2023, शनिवार को राधा अष्टमी
- मध्याह्न समय – सुबह 11:01 बजे से दोपहर 01:26 बजे तक
- अवधि – 02 घंटे 25 मिनट
- अष्टमी तिथि आरंभ – 22 सितंबर, 2023 को दोपहर 01:35 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त – 23 सितंबर 2023 को दोपहर 12:17 बजे
व्रत और पूजा विधि विस्तार में जाने के लिए आप यहाँ हमारे पंडित और ज्योतिस से संपर्क कर सकते हैं।
राधा अष्टमी 2023 व्रत और पूजा विधि
इस दिन, विशेष रूप से वैष्णव पंथ के अनुयायी पूरे दिन उपवास रखते हैं और राधा रानी और श्री कृष्ण दोनों की पूजा करते हैं। इस दिन लोग राधा रानी के पवित्र चरणों के दर्शन करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस संसार में कोई भी प्राणी राधा के चरणों की सुंदरता का वर्णन नहीं कर सकता है।
राधा अष्टमी के समय व्रत कैसे करें?
पूजा और व्रत विधियां अलग-अलग जगह भिन्न हो सकती हैं। यहां आमतौर पर मनाए जाने वाले कुछ राधाष्टमी व्रत और पूजा विधियां दी गई हैं।
- दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करें
- सुबह जल्दी शुद्ध तरीके से स्नान करें
- अपने पूजा कक्ष में राधारानी की मूर्ति स्थापित करें और दोपहर 12 बजे मूर्ति की पूजा करें
- आप स्थापना से पूर्व अभिषेक भी कर सकते हैं
- संकल्प लें और अपने व्रत का कारण बताएं (यदि आप किसी मनोकामना के पूर्ण होने के आशा से पूजा कर रहे हों तो)
- राधा अष्टमी व्रत कथा, राधा स्तुति और राधा चालीसा का पाठ करें
- आप राधा कृष्ण के भजन भी गा सकते हैं या हरिवंश का पाठ कर सकते हैं जिसमें राधा और कृष्ण की कहानियाँ हैं।
- दीया जलाएं और देवी को भोग लगाएं
- भक्ति गीत गाएं, संध्या के समय आरती करें
- पूजा समाप्त होने के बाद, आप पूजा प्रसाद ले सकते हैं (आपके उपवास के नियमों के आधार पर)
- अगले दिन आप किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण या विवाहित महिला को भोजन करा सकते हैं
- बाद में प्रसाद खाकर व्रत खोलें
हिन्दू भक्तों में भिन्न भिन्न मान्यताएं हैं। कुछ भक्त पूरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं और अगले दिन जरूरतमंदों को खाना खिलाने के बाद ही अपना उपवास तोड़ते हैं।
वहीं कुछ भक्त केवल बिना अनाज, बिना नमक का व्रत रखते हैं। वे दाल, तेल, मसाले, नियमित सब्जियां नहीं लेते हैं। इसमें वे केवल फल और दूध से बनी चीजें ही खाते हैं। अगले दिन वे व्रत तोड़ते हैं और सामान्य भोजन करते हैं।
व्रत का भोजन बिना लहसुन और बिना प्याज़ का बनता है। साधारणतः आम घरों में भोजन सात्त्विक होता है।
राधा अष्टमी के इस पवित्र दिन पर, राधा रानी और श्री कृष्ण दोनों की मूर्तियों को फूलों से भव्य रूप से सजाया जाता है। भक्त इस दिन राधा रानी के चरणों के दर्शन कर सकते हैं क्योंकि वे वर्ष के बाकी दिनों में ढके रहते हैं। यह त्यौहार बृज, बरसाना, मथुरा और वृन्दावन में भव्य तरीके से मनाया जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न: क्या श्री कृष्णा के बिना राधा रानी की पूजा नहीं हो सकती है?
उत्तर: ऐसी मान्यता है, राधा के बिना श्री कृष्ण और श्री कृष्णा के बिना राधा अधूरे हैं, इसीलिए जब भी दोनों की पूजा होती है एक साथ ही होती है।
प्रश्न: राधाष्टमी क्यों मनाया जाता है?
उत्तर: राधा अष्टमी, वृन्दावन की रानी राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।